Friday, 14 January 2011

जिन्दगी हर्ष और अवशाद का अहसास मात्र नहीं है...


















यह कैसी अनुभूति
जिसमे मै किंचित  उलझ सा गया हूँ
यह कैसी खुमारी
जिसमे मै कतिपय मद ..होश.. सा हो  गया हूँ
पर कब तक
तभी तक, जब तक हमें अहसास नहीं हो पता है
कि जिन्दगी
 हर्ष और अवशाद का अहसास मात्र नहीं है...

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