एक दिन सहसा
मुझे लगा
कोई मुझे प्रेम कर रहा
मै चौंका
मन ही मन सोंचा
कि क्या हुआ ऐसा
कोई मुझे प्रेम कर रहा है
मै भागा पहुंचा
दर्पण के सामने
खुद को सवारा
फिर खुद ही निहारा
ईश्वर का नाम ले
दिल से दिल को पुकारा
जोर से रोया, अरु जोर से हंसा
इसी जोर शोर में
जमी में आ गिरा
आँखों को खोला
सामने वो आ गयी
वह कोई गैर नहीं
अपनी ही थी
मुझे प्रेम करने वाली "रजनी"
रात रानी मेरी थी ...................
अति सुन्दर
ReplyDeleteक्या आप एक से ज्यादा ब्लॉग पर एक ही लेख लिखते हैं ?
सामूहिक ब्लॉग संचालकों के लिए विशेष
bahgut khub achhe ahsas , mubarak ho
ReplyDeleteachchi kavita
ReplyDelete