Saturday 16 April 2011

बड़े भाग्य से आया भैया , युग यह भ्रष्टाचार का !



हंस लो गा लो ख़ुशी मना लो 
गुण गाओ करतार का !
बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर मास्टर हो तो सुन लो 
गैर हाजिरी का पथ चुन लो ,
बनकर नेता करो दलाली 
जो भी फंसे धान सा धुन लो,

अधिकारी की करो बुराई
डंका पीट प्रचार का !
बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर डाक्टर प्रतिभाशाली 
होवे डिग्री  चाहे जाली, 
मुर्दे का भी इलाज करके
जेब करो  लोगों की ख़ाली ,


ऐसी देना दवा कि जिससे   
मर्ज बढे बीमार का !

बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर भाग्य से हैं अधिकारी 
निज महलहीन तो महा अनारी, 
पाल दलालों को दस बारह
फैला दो  घूस की बीमारी ,


बन जायेगा नंदन कानन 
भाग्य तुम्हारे थार का !

बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !


नेता हो तो कहना क्या है 
दरिद्रता में रहना क्या है,


  
शेष शीघ्र ..................................

Sunday 3 April 2011

एक दिन

एक दिन सहसा 
मुझे लगा 
कोई मुझे प्रेम कर रहा 
मै चौंका 
मन ही मन सोंचा 
कि क्या हुआ ऐसा 
कोई मुझे प्रेम कर रहा है
मै भागा पहुंचा 
दर्पण के सामने 
खुद को सवारा 
फिर खुद ही निहारा
ईश्वर का नाम ले
दिल से दिल को पुकारा 
जोर से रोया, अरु जोर से हंसा
इसी जोर शोर में 
जमी में आ गिरा 
आँखों को खोला 
सामने वो आ गयी 
वह कोई गैर नहीं 
अपनी ही थी
मुझे प्रेम करने वाली "रजनी"
रात रानी मेरी थी ...................