Friday 14 January 2011

उन दिनों

उन दिनों मै उसका नया प्रेमी था
इसका आशय यह नहीं कि वो शैम्पू कि तरह
प्रेमी बदलती रहती है
वह सचमुच एक सच्ची लड़की थी , है
शायद उतना ही सच्चा उसका प्रेम भी
उन दिनों जो वह कर रही थी मुझसे
जानते हुए भी एक दिन मैंने उससे पूंछा
जानने कि कोशिस क़ी
क़ि क्या तुमने पहले भी
किसी और  से प्रेम किया है
वह कुछ क्षण सोंचती रही
फिर बोली हाँ बहुत प्रेम किया है
आज भी करती हूँ आगे भी करती रहूंगी
मगर उसने मुझे धोखा दिया
मुझसे एक झूंठ बोला
शायद मैंने धोखा खाने के लिए ही प्रेम किया था
धोखे का कोई नाम नहीं होता
प्रेम कही न कही शायद एक मूर्खता है
अच्छा - मैंने कहा , तो क्या तुम्हे नहीं लगता
क़ि तुम उसे फिर से दोहरा रही हो
मैंने पुनः उससे पूछा
अपने प्रेमी के साथ किस मोड़ तक चली हो
किस हद तक चली हो
प्रेम का मतलब ...
दरअसल मै जानना चाहता था
जो लड़की मेरे साथ रहकर
मुझसे कुछ भी खास नहीं कह सकी
उसने प्रेम क़ि कितनी सीढियाँ उतरी है
मै क्यों यह जानना चाहता था मै भी नहीं जनता
परन्तु वह मुझसे उतना नहीं तो कुछ तो प्रेम कर ही रही थी
जितना क़ि शायद उसने अपने दुसरे प्रेमी से कभी किया होगा ....
उन दिनों

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