Friday 4 March 2011

रामदेव देव


कहाँ छिपा है सत्य पुरातन 

कहाँ छिपी है उर्वरता

कहाँ छिपी है कीर्ति सलोनी 
कहाँ छिपी है समरसता 

किसकी  त्वरित आकांक्षाओं में 
सत्य राम सा गूंजा था 

आह्यालाद की चिंगारी बन  
सर्वस अर्पण करता था

मानवता की आहों को सुनकर 
मन नहि किसका बहका था 

धू धू  कर जलते स्वनो को देख 
धन धान्य किसे है फलता था 

रोता चिल्लाता देश मेरा
अभागों को, नही सुनाई पड़ता  है  

जिसने देखा सपना उज्जवल नव भारत का 

 भारत सपूत वह रामदेव , नेताओं को क्यों दुश्मन सा  दिखाई पड़ता है  .
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4 comments:

  1. सुशील बाकलीवाल जी आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.आपका सुझाव अच्छा है,आनन्‍द पाण्‍डेय जी संस्‍कृत के
    प्रसार में आपका संभव सहयोग होगा , सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी, ब्लॉग का अनुसरण करने,आप सभी को ब्लॉग में आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!,

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  2. अच्छी प्रस्तुति, ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत, हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा पत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
    हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
    हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/

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  3. स्वामी जी राष्ट्र नायक कि भूमिका निभा रहे है |..........
    स्वाभिमान जगा भारत का नव युग कि तयारी है ........
    स्वामी जैसा अवतारी पुरुष भारत कि धरा पर परिवर्तन के लिय ही पैदा हुआ हैं ..............आपने बहुत ही सार्थक पोस्ट लिखी है

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