Sunday 3 April 2011

एक दिन

एक दिन सहसा 
मुझे लगा 
कोई मुझे प्रेम कर रहा 
मै चौंका 
मन ही मन सोंचा 
कि क्या हुआ ऐसा 
कोई मुझे प्रेम कर रहा है
मै भागा पहुंचा 
दर्पण के सामने 
खुद को सवारा 
फिर खुद ही निहारा
ईश्वर का नाम ले
दिल से दिल को पुकारा 
जोर से रोया, अरु जोर से हंसा
इसी जोर शोर में 
जमी में आ गिरा 
आँखों को खोला 
सामने वो आ गयी 
वह कोई गैर नहीं 
अपनी ही थी
मुझे प्रेम करने वाली "रजनी"
रात रानी मेरी थी ...................

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