Saturday 16 April 2011

बड़े भाग्य से आया भैया , युग यह भ्रष्टाचार का !



हंस लो गा लो ख़ुशी मना लो 
गुण गाओ करतार का !
बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर मास्टर हो तो सुन लो 
गैर हाजिरी का पथ चुन लो ,
बनकर नेता करो दलाली 
जो भी फंसे धान सा धुन लो,

अधिकारी की करो बुराई
डंका पीट प्रचार का !
बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर डाक्टर प्रतिभाशाली 
होवे डिग्री  चाहे जाली, 
मुर्दे का भी इलाज करके
जेब करो  लोगों की ख़ाली ,


ऐसी देना दवा कि जिससे   
मर्ज बढे बीमार का !

बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !

अगर भाग्य से हैं अधिकारी 
निज महलहीन तो महा अनारी, 
पाल दलालों को दस बारह
फैला दो  घूस की बीमारी ,


बन जायेगा नंदन कानन 
भाग्य तुम्हारे थार का !

बड़े भाग्य से आया भैया 
युग यह भ्रष्टाचार का !


नेता हो तो कहना क्या है 
दरिद्रता में रहना क्या है,


  
शेष शीघ्र ..................................

8 comments:

  1. सटीक व्यंग्य...

    जितना लिखा उम्दा लिखा...

    शेष का इंतज़ार रहेगा...!!

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  2. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  3. लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

    नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
    चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
    मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
    चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
    आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

    डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
    जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
    मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
    बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
    मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.

    असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
    क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
    जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
    संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
    कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
    कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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  4. अच्छा व् घर व्यग्य किया ..............यु ही जनता को जह्रुक करते रहें |

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  5. मन की बात कह दी आपने ! कलम का तीखापन बेजोड़ है ! बधाई आपको !

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  6. bahut bhadiya, hasyatmak vyang ke liye badhai

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